Saturday, October 6, 2012

पीएसीएल का 7000 करोड़ का घोटाला - भाग 3

पीएसीएल के घोटालों के सिलसिले में स्कैम्सलीक की जांच का दायरा और आगे बढ़ाते हुए हम चलते हैं इस घोटाले की एक और परत खोलने के लिए।

स्कैम्सलीक की जांच में सामने आया है कि यह कंपनी खुद ही झूठ बोलती है। कंपनी के दस्तावेजों की पड़ताल में सामने आया है कि 26 मार्च 2012 को जारी पीएसीएल के सीए की रपट के मुताबिक कंपनी का दावा है कि उसके पास पूरे देश में 44 लाख प्रतिनिधि हैं जो उसके लिए काम करते हैं।

सवाल यह उठता है कि आखिरकार एक कंपनी को इतने प्रतिनिधियों की जरूरत ही आखिरकार क्यों पड़ती है। एलआईसी जैसी विशाल कंपनी पास भी इतनी ब़ड़ी तादाद में एजंटों की फौज नहीं है, जबकि वह तो सीधे तौर पर बीमा बेचने के कारोबार में है। कंपनी यह भी दावा करती है कि उसके पास कुल 444 लाख भूखंडधारक हैं। कंपनी का दस्तावेज यह भी दावा करता है कि उसके पास पूरे देश में कुल 4 लाख एकड़ जमीन है।

आरोपी कंपनी का यह भी दावा है कि वो अपने भूखंडधारकों को कम से कम 150 वर्ग गज का भूखंड बेचती है।

सवाल उठता है कि जब यह कंपनी भूखंड बेचती है तो फिर उसके पास भूखंड इतनी बड़ी मात्रा में कैसे आते हैं। यदि वह भूखंड नहीं बेचती है, और उसके नाम पर बस लोगों के पैसे अपने पास रख कर कुछ समय बाद बढ़ी रकम वापस करती है तो यह एक तरह से एफडी ही हो गई, और सेबी के नियमों से खुद को बचाने के लिए कंपनी भूखंड बेचने का ढोंग करती है।

पीएसीएल का झूठ कैसे पकड़ में आता है, यह आपको इसी से समझ आ जाएगा कि कंपनी के दावे के मुताबिक 150 वर्ग गज के भूखंड अपने भूखंडधारकों को देने की बात करती है तो 444 लाख लोगों को देने के लिए कुल मिला कर उसके पास 666 करोड़ वर्ग गज जमीन होनी चाहिए। याने कि 1,37,60.438.08 एकड़ जमीन की मिल्कियत होनी चाहिए। 31 मार्च 2010 तक कंपनी के दस्तावेजों के मुताबिक कुल 68.90 करोड़ वर्ग गज जमीन ही उसके लैंड बैंक का हिस्सा थी। इस तरह कंपनी का यह दावा भी कई सवाल खड़े करता है।

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