Thursday, March 28, 2013

वीवीआईपी हेलिकॉप्टर डील में रिश्वत, इटली की कंपनी का अधिकारी अरेस्ट

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री जैसे देश के अति विशिष्ट लोगों के लिए करीब 3600 करोड़ रुपये में 12 हेलिकॉप्टरों के सौदे में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। यह डील हासिल करने के लिए भारत में 362 करोड़ रुपये की रिश्वत देने के आरोप में इटली की सरकारी कंपनी फिनमेकनिका के प्रमुख जूसेपी ओरसी को इटैलियन पुलिस ने मंगलवार को मिलान शहर से गिरफ्तार किया। फिनमेकनिका की सहायक कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड के प्रमुख ब्रूनो स्पैगनेलेनी को भी इटली की कोर्ट ने नजरबंद करने के आदेश दिए हैं। इसके बाद यहां डिफेंस मिनिस्ट्री ने इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश जारी करते हुए बाकी 9 हेलिकॉप्टरों की डील स्थगित कर दी।

वैसे तो इस डील में कथित रिश्वतखोरी की खबरें पिछले साल इटली की मीडिया में आई थीं। एक भारतीय और एक ब्रिगेडियर का नाम भी सामने आया था। हमारे सहयोगी चैनल टाइम्स नाउ ने भी इसे प्रमुखता से उठाया था। लेकिन, भारत सरकार इटली सरकार से पूरी जानकारी न मिलने की बात कहकर इसे नजरअंदाज करती रही। अब इटली पुलिस की कार्रवाई के बाद यहां रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हमने इटली और यूके की सरकारों से जानकारी मांगी थी, लेकिन आरोप साबित करने लायक खास डिटेल न मिलने पर सीबीआई जांच का निर्देश दिया गया है।

3600 करोड़ की डील
इन वीवीआईपी हेलिकॉप्टरों के लिए भारत ने फिनमेकनिका कंपनी के साथ फरवरी 2010 में डील साइन की थी। इसके तहत करीब 3600 करोड़ रुपये में 12 एडब्ल्यू-101 हेलिकॉप्टर खरीदे जा रहे हैं। तीन की डिलीवरी हो चुकी है, जिन्हें वायुसेना के संचार स्क्वॉड्रन को सौंप दिया गया है, जो राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य बड़ी हस्तियों को हेलिकॉप्टर के जरिए लाने-ले जाने की जिम्मेदारी संभालती है। बाकी हेलिकॉप्टर अगले साल के मध्य तक मिलने थे।

सरकार की चुप्पी पर सवाल
इटली की पुलिस ने इस डील में रिश्वतखोरी की पिछले साल अप्रैल में जांच शुरू कर दी थी। उसके बाद वहां मीडिया में इस सौदे में दलाली की खबरें आई थीं। लेकिन, उस समय रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी समेत अन्य अधिकारियों ने यह कहकर टालने की कोशिश की थी कि इटली सरकार से जानकारी मांगी गई है।

प्रभावशाली हस्ती का दबाव?
इस दलाली के कई तार उस वक्त भारत में जुड़े नजर आए थे, लेकिन रक्षा मंत्रालय ने फिनमेकनिका कंपनी के भारतीय संपर्कों से जानकारी लेने की जरूरत नहीं समझी। आरोप है कि इस सौदे में भारत की एक प्रभावशाली हस्ती के जुड़े होने की आशंका के कारण सरकार ने देश में जांच शुरू नहीं करवाई। सरकार का कहना था कि इटली सरकार से डिटेल मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

ब्रिगेडियर से पूछताछ नहीं
इटली की अदालत में इस केस की सुनवाई के दौरान एक भारतीय संजीव कुमार त्यागी के कथित तौर पर जुड़े होने का आरोप लगा था। थलसेना के एक ब्रिगेडियर का नाम भी सामने आया था। लेकिन, रक्षा सूत्र बताते हैं कि इनके नाम इटली की मीडिया में आने के बावजूद भारत सरकार ने अब तक इन लोगों से पूछताछ की जरूरत नहीं समझी।

प्रणव ने कर दिए थे रिजेक्ट
इन हेलिकॉप्टरों को खरीदने के लिए इनमें मौजूद वीवीआईपी सुविधाओं और बेहतर सिक्युरिटी फीचर्स का हवाला दिया गया था, लेकिन तब प्रणव मुखर्जी की अगुवाई वाले वित्त मंत्रालय ने इसे महंगा सौदा बताकर नामंजूर कर दिया था। बाद में, रक्षा मंत्रालय, एसपीजी और अन्य विभागों में हेलिकॉप्टरों की सख्त जरूरत की बात कहकर डील की गई।

तकनीकी जरूरतें बदली गईं
सूत्रों के मुताबिक, फिनमेकनिका के एक एजेंट ने इटली की कोर्ट में आरोप लगाए थे कि कंपनी से डील करने के लिए भारतीय वायुसेना ने हेलिकॉप्टर की तकनीकी जरूरतें तक बदल दी थीं। एजेंट का कहना था कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि अगस्ता वेस्टलैंड के हेलिकॉप्टर टेंडर की शर्तों के अनुरूप नहीं थे।

इटली में भारतीय राजदूत ने इटली के अधिकारियों से इस सिलसिले में जानकारी मांगी थी लेकिन उनका कहना था कि इस पर इटली की कोर्ट में सुनवाई चल रही है, इसलिए वे इसकी डिटेल कोर्ट के बाहर नहीं दे सकते।
साभार
नवभारतटाइम्स.कॉम | Feb 12, 2013, 09.50PM IST, रंजीत कुमार ।।
http://navbharattimes.indiatimes.com/world/europe/italian-defence-giant-head-held-for-india-bribes-reports/articleshow/18464421.cms

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